नई दिल्ली - दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की दिल्ली-लाहौर बस सेवा भारत और पाकिस्तान के बीच सद्भावना और सौहार्द्रपूर्ण संबंध बनाए रखने के नाम पर हर महीने लाखों रुपये का घाटा झेल रही है। यहां स्थिति ऐसी है कि इन दिनों भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली डीटीसी बसों में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या केवल 4-5 रोज रह गई है। यहां इस बस के संचालन पर दिल्ली परिवहन निगम ने मई और जून माह में 7.81 लाख रुपये का घाटा झेला है।सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पुलवामा हमले के बाद से दिल्ली-लाहौर बस सेवा के यात्रियों की संख्या में बड़ी गिरावट आई है। दिल्ली गेट स्थित आंबेडकर स्टेडियम बस टर्मिनल से इसका संचालन होता है और यहां इस वातानुकूलित बस सेवा का एक तरफ का किराया 12 साल से अधिक आयु के यात्रियों के लिए 2400 रुपये है।
लाहौर के लिए बस सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को सुबह 6 बजे रवाना होती है और पाकिस्तान टूरिज्म डेवेलपमेंट कार्पोरेशन (पीटीडीसी) दिल्ली के लिए मंगलवार, बृहस्पतिवार और शनिवार को बस चलाता है। प्रत्येक बस में 40 यात्रियों के बैठने की क्षमता है। यहां इस बस सेवा में दिल्ली से जाने और पाकिस्तान से आने वाले यात्रियों की संख्या करीब 4-5 यात्री ही है और कभी-कभी तो दिल्ली से बस महज एक यात्री को लेकर पाकिस्तान जाती है।
डीटीसी के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, मई में इस बस में 146 और जून में 140 यात्रियों ने सफर किया। यहां मई में राजस्व 3,77,340 रुपये रहा और संचालन पर खर्च 7,97,918 रुपये था। इस तरह मई में 4.2 लाख का घाटा हुआ। जून माह में दिल्ली-लाहौर बस सेवा के संचालन पर 7.81 लाख का खर्चा हुआ। कमाई महज 4.2 लाख की हुई। इस माह डीटीसी को 3.61 लाख का घाटा उठाना पड़ा।
यहां इस संबंध में डीटीसी के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि दिल्ली-लाहौर बस सेवा आर्थिक लाभ या हानि के दृष्टिकोण से नहीं चलाई जा रही है। यहां यह बस सेवा भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक संबंधों को बेहतर और सौहार्द्रपूर्ण बनाने के लिए चलाई जा रही है। लिहाजा इससे हो रहे घाटे से उबरने के लिए डीटीसी के पास कोई विकल्प नहीं है।
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