नई दिल्ली: पीएम मोदी ने 73वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए जल संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया. यहां उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार की प्राथमिकता को इस आधार पर समझा जा सकता है कि हमने नई सरकार के गठन के 70 दिन के भीतर ही जल शक्ति मंत्रालय बनाया.
उन्होंने कहा कि सभी लोग जल के महत्व को समझें. किसान जल की हर बूंद से अधिक पैदावार की सोचें और शिक्षा कर्मी बचपन से ही पानी के महत्व को बताएं. पानी के क्षेत्र में 70 सालों में जो काम हुआ है, यहां हमें पांच साल में उसका चौगुना काम करना होगा. हम और ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते हैं.
उन्होंने यहां एक प्रसिद्ध संत की कविता का जिक्र करते हुए कहा कि जब पानी समाप्त हो जाता है तो प्रकृति का कार्य रुक जाता है और एक तरह से विनाश प्रारंभ हो जाता है. इसी कड़ी में उन्होंने कहा कि उत्तरी गुजरात में एक धार्मिक जगह है. जैन समुदाय के लोग उसके प्रति श्रद्धा भाव रखते हैं. वहां एक जैन मुनि हुए. वह किसान थे, खेत में काम करते थे. वह 100 साल पहले लिख कर गए हैं कि एक दिन ऐसा आएगा जब पानी किराने की दुकान पर बिकेगा. देखिये आज वास्तव में पीने का पानी किराने की दुकान पर मिलता है.
जल संरक्षण के मुद्दे पर हमें न रुकना है और न आगे बढ़ने से रुकना है. यह सरकारी अभियान नहीं बनना चाहिए. जनसामान्य को लेकर इस मुद्दे पर आगे बढ़ना है.
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