Thursday, August 15, 2019

बंटवारे के समय बिछड़ा यह सिख भाई 72 साल बाद मिला अपनी मुसलमान बहनों से!

साल 1947 में हिंदुस्तान सिर्फ आज़ाद नहीं हुआ था बल्कि दो हिस्सों में बिखर भी गया था। यहां भारत और पाकिस्तान जब अलग हुए तो न जाने कितने लोगों को बेघर होना पड़ा और न जाने कितनों ने अपनों को खो दिया। जब कोई इस पार रह गया तो कोई बिछुड़ कर उस पार चला गया।

Third party image reference
कुछ ऐसा ही हुआ था डेरा बाबा नानक के पास स्थित पराचा गाँव के रहने वाले एक परिवार के साथ। यहां जब अफरा-तफरी में यह परिवार पाकिस्तान के लिए रवाना हुआ तो पीछे रह गया उनका डेढ़ साल का बेटा बेअंत सिंह। बेअंत सिंह का बाकी परिवार, उनके माता-पिता और दो बहनें, सब पाकिस्तान में बस चुके थे और उन्हें यहाँ एक सिख परिवार ने पाला।
बंटवारे के कुछ समय बाद उनकी माँ ने अपने छोड़े हुए मोहल्ले के पड़ोसियों से अपने बेटे की खोज-खबर ली और यहां तब से लेकर अब तक बेअंत सिंह चिट्ठी और फ़ोन आदि के माध्यम से ही अपनी दोनों बहनों, उल्फत बीवी और मिराज बीवी से जुड़े हुए थे।
दोनों देशों के बीच खिंची एक लकीर के चलते कभी उनका मिलना न हो पाया। लेकिन अभी हाल ही में बेअंत सिंह 3000 सिख श्रद्धालुओं के साथ अटारी बॉर्डर से नानक जयंती के मौके पर पाकिस्तान के पंजाब में ननकाना साहिब गुरुद्वारे में मत्था टेकने के लिए पहुंचे।
यहां पूरे 72 साल बाद उन्होंने अपनी दोनों बहनों से मुलाकात की। उनकी बहनें उन्हें गले लगाकर रो पड़ीं। इस मंजर ने वहां मौजूद हर एक को भावुक कर दिया।
अब उनकी बहनें यहां भारत आकर अपने भाई के परिवार से मिलना चाहती हैं और साथ ही उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से अपील की है कि वे उनके भाई के वीजा की अवधि बढ़ा दें।
अब से 7 दशक पहले जो हुआ न तो उसे कोई अब बदल सकता है और न ही उन लोगों के दुःखों को कोई मिटा सकता है, जिन्होंने उस मंजर को अपनी आँखों से देखा। पर हाँ, इस तरह के कुछ वाक्ये यकीनन उन घावों पर मरहम का काम कर जाते हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि धीरे-धीरे दोनों देशों के रिश्तों में सुधार आएगा और ऐसे बहुत से परिवार फिर से एक हो पायेंगें।
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